स्वागत है दोस्तों, एक और नए लेख में जिसमें हम ग्रीनहाउस प्रभाव के बारे में विस्तार से जानेंगे, जिसके अंतर्गत हम जानेंगे कि GreenHouse Effect Kya Hai, ग्रीनहाउस प्रभाव के क्या कारण हैं, ग्रीनहाउस प्रभाव के परिणाम और ग्रीनहाउस प्रभाव को कम करने के उपाय आदि. कृपया लेख में अंत तक बने रहें.
ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है (GreenHouse Effect Kya Hai)
हरित गृह (ग्रीन हाउस) कांच के आवरण वाला घर होता है, ठंडे क्षेत्रों या देशों में इन घरों का उपयोग पौधों को ठंड से बचाने के लिए किया जाता है.
इन घरों में कांच के माध्यम से सूर्य का प्रकाश आसानी से प्रवेश कर जाता है लेकिन इन घरों से गर्मी अवरक्त किरणों के रूप में बाहर नहीं आती है क्योंकि यह कांच के आवरण द्वारा अवरुद्ध होती है, यही कारण है कि ग्रीनहाउस के अंदर का तापमान बाहर के तापमान से अधिक बना रहता है.
इसी प्रकार पृथ्वी भी एक ग्रीन हाउस की भाँति कार्य करती है, जिस प्रकार प्रकाश की किरणें इन कक्षों में सिमटी रहती हैं, उसी प्रकार प्रकाश की किरणें वायुमंडल से बाहर नहीं जा सकतीं हैं.
पृथ्वी की ग्रीन हाउस गैसें जो पृथ्वी के निचले वायुमंडल में पाई जाती हैं, पृथ्वी को एक चादर की तरह लपेटे रहती हैं और यह ग्रीन हाउस के शीशे की तरह कार्य करती हैं.
अर्थात् यह सौर विकिरण की आने वाली लघु तरंगदैर्घ्य को तो आने देती हैं परंतु पृथ्वी से लौटती दीर्घ तरंगदैर्ध्य विकिरण (पार्थिव विकिरण) को अवशोषित कर लेती है.
यह समायोजन तापीय तरंगों को पृथ्वी की सतह से नियंत्रित तरीके से अंतरिक्ष की बाहरी परत तक पहुंचाता है, इससे पृथ्वी पर एक आवरण बन जाता है जिससे पृथ्वी गर्म और रहने योग्य रहती है. इसलिए एक प्राकृतिक ग्रीन हाउस पृथ्वी की सतह को गर्म रखता है और उसे एक निश्चित तापमान प्रदान करता है.
ग्रीनहाउस प्रभाव की परिभाषा
ग्रीनहाउस प्रभाव वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सूर्य से आने वाले अवरक्त विकिरण को वायुमंडल में मौजूद ग्रीनहाउस गैसों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है, यह अवशोषित ऊष्मा वायुमंडल में फंस जाती है और पृथ्वी की सतह को गर्म करती है.
प्राकृतिक ग्रीन हाउस प्रभाव
वातावरण में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली ग्रीन हाउस गैसें ही प्राकृतिक ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए जिम्मेदार होती हैं. इस प्रक्रिया से पृथ्वी की सतह गर्म और रहने योग्य हो जाती है, प्राकृतिक ग्रीनहाउस प्रभाव पृथ्वी को उसके औसत तापमान (15°C) पर गर्म रखता है.
मानवजनित ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाता है और तापमान बढ़ता है. वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता में वृद्धि के परिणामस्वरूप अधिक अवरक्त विकिरण अवशोषित होगा, जिससे ग्रीनहाउस प्रभाव बढ़ता है.
ग्रीनहाउस गैसें
ग्रीनहाउस गैसें वातावरण में उन गैसों को संदर्भित करती हैं, जो प्राकृतिक और मानवजनित दोनों हैं, जो अवरक्त विकिरण को अवशोषित और पुनः उत्सर्जित करती हैं.
वायुमण्डल में पायी जाने वाली गैसों में जलवाष्प एवं CO2 प्रचुर मात्रा में पायी जाती है तथा किसी भी क्षेत्र में अधिकतम अवरक्त विकिरणों (12 से 20 माइक्रोमीटर) को अवशोषित करती हैं. इसके साथ ही अन्य प्रमुख ग्रीन हाउस गैसें इस प्रकार हैं -
• कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
• मीथेन (CH4)
• नाइट्रस ऑक्साइड (N2O)
• हाइड्रोफ्लोरो कार्बन (HFCs)
• परफ्लूरोकार्बन (PFCs)
• सल्फर हेक्साफ्लोराइड (SF6)
• जलवाष्प
ग्लोबल वार्मिंग में कार्बन डाइऑक्साइड गैस का 60% योगदान है, यह मानव गतिविधियों द्वारा उत्सर्जित एक प्राथमिक ग्रीनहाउस गैस है.
कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी के कार्बन चक्र (वातावरण, महासागरों, मिट्टी, पौधों और जीवों के बीच कार्बन का प्राकृतिक प्रवाह) के हिस्से के रूप में वातावरण में स्वाभाविक रूप से मौजूद है.
यह एक प्रमुख ऊष्मा अवशोषक गैस है. वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड में कोई भी परिवर्तन वातावरण के तापमान को बदल सकता है.
ग्रीनहाउस गैसों के प्रमुख कारण
1- प्राकृतिक कारण
• महाद्वीपों का खिसकना
• ज्वालामुखी
• समुद्री तरंगे
• धरती का घुमाव
2- मानव जनित कारण
• जीवाश्म ईंधन, जैसे पेट्रोल-डीजल और कोयले के दहन से ग्रीनहाउस गैस उत्पन्न होती है, ये जीवाश्म ईंधन जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करते हैं जो कि वायु प्रदूषण को बढ़ावा देता है.
• पेड़-पौधे मनुष्य और अन्य जीवों द्वारा छोड़े जाने वाले कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को कम करते हैं और ऑक्सीजन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जबकि जंगलों को काटने और जलाने से ग्रीनहाउस प्रभाव बढ़ता है.
• औद्योगिक गैसों के उत्सर्जन से ग्रीन हाउस गैसें बनती हैं. औद्योगिक गैसों की श्रेणी में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, फ्लोरीन आदि शामिल हैं.
• फसलों में उर्वरक के रूप में उपयोग की जाने वाली कृत्रिम नाइट्रोजन नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्पन्न करती है, जो ग्रीनहाउस प्रभाव को बढ़ाती है.
• पालतू पशु जैसे गाय, भेड़, बकरी आदि जब भोजन पचाते हैं तो उनके पेट में मीथेन गैस उत्पन्न होती है और यह गैस उनके गोबर के बाद वातावरण में मिल जाती है, जिससे ग्रीनहाउस प्रभाव बढ़ता है.
ग्रीन हाउस प्रभाव में वृद्धि
आज के युग में मनुष्य ने अपनी सुविधा के लिए प्रकृति को हानि पहुँचाना प्रारम्भ कर दिया है. जिसमें निरन्तर वृद्धि देखी जा रही है और इस कारण तापमान में वृद्धि हो रही है यदि भविष्य में पृथ्वी का तापमान इसी प्रकार बढ़ता रहा तो जीव जगत के जीवन चक्र पर गहरा प्रभाव पड़ेगा.
ग्रीन हाउस प्रभाव के दुष्परिणाम
• जिस तरह से ग्रीन हाउस प्रभाव बढ़ रहा है उससे साफ है कि पृथ्वी पर मानव जीवन के लिए खतरा मंडरा रहा है, यूरोप के भूवैज्ञानिकों ने ग्रीन हाउस के प्रभाव को लेकर भविष्यवाणी की है कि आने वाले वर्ष 2050 तक पृथ्वी के तापमान में 1.5 से 4.5 डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि की संभावना है, जो कि बहुत ज्यादा हैं.
• ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते तापमान के कारण ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ पिघलने लगी है, जिससे बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन हो रहा है, साथ ही सूखा, बाढ़ और तूफान जैसी आपदाएँ हो रही हैं.
• कार्बन डाइऑक्साइड का बढ़ता स्तर, जो मुख्य ग्रीनहाउस गैसों में से एक है, न केवल समुद्री जीवन बल्कि पौधों की प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को भी प्रभावित कर रहा है.
• बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं, और महासागरों में पानी का स्तर बढ़ रहा है, जिससे लाखों लोगों की जान खतरे में है. यदि इसी तरह से तापमान बढ़ता रहा तो समुद्र का स्तर बढ़ जाएगा जो तटीय क्षेत्रों को जलमग्न कर देगा.
• क्लोरोफ्लोरोकार्बन, मीथेन, कार्बन-डाइऑक्साइड आदि ग्रीनहाउस गैसों के जमा होने के कारण समताप मंडल में ओजोन परत का क्षरण हो रहा है, ओजोन परत के क्षरण की स्थिति में हानिकारक पराबैंगनी किरणें पृथ्वी तक पहुंच सकती हैं.
ग्रीनहाउस प्रभाव को कम करने के उपाय
मानवीय कारकों के कारण ग्रीनहाउस प्रभाव बढ़ रहा है, यदि मानव द्वारा ग्रीनहाउस के प्रभाव को कम करने के लिए उचित कदम उठाए जाएं तो भविष्य में होने वाले भारी विध्वंस को रोका जा सकता है.
ग्रीनहाउस प्रभाव को कम करने में योगदान देना पूरे विश्व के लिए आवश्यक हो गया है, मनुष्य के लिए यह आवश्यक है कि वह सरल जीवन का लक्ष्य रखे ताकि हरित गृह प्रभाव को कम किया जा सके.
ग्रीनहाउस प्रभाव को पूरी तरह खत्म करने में हमें समय लग सकता है. लेकिन कुछ सैद्धांतिक उपाय हैं. जिनकी मदद से हम ग्रीनहाउस प्रभाव को कम कर सकते हैं -
• वैश्विक तापमान वृद्धि में CO2 प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों में से एक है. CO2 गैस उत्सर्जन को बढ़ाने में कोयला, विमानन ईंधन, पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस, एलपीजी आदि का बड़ा योगदान है. हम इन ईंधनों या इनके उपयोग से बने उत्पादों का कम उपयोग करके कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकते हैं.
• पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपनाकर हम पृथ्वी को फिर से रहने योग्य बना सकते हैं. जिसमें पेड़ लगाना, जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना, भूमि और जंगलों का संरक्षण करना और सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा जैसे प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोतों का यथासंभव उपयोग करना शामिल है.
निष्कर्ष: GreenHouse Effect Kya Hai
इस लेख में आपने जाना कि ग्रीन हाउस प्रभाव का क्या अर्थ है, ग्रीन हाउस प्रभाव में वृद्धि क्यों हो रही है, इसके दुष्प्रभाव और दुष्प्रभाव को कम करने के उपाय क्या क्या हैं आदि.
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