बादल किसे कहते हैं
वायुमंडल में उपस्थित जलवाष्प के संघनन (वाष्प अवस्था से तरल अवस्था में बदलने की प्रक्रिया) द्वारा निर्मित जल कणों या हिम कणों की दृश्यमान मात्रा को बादल कहते हैं.
बादल कैसे बनते हैं (Badal kaise bante hain)
बादलों का निर्माण वाष्पीकरण और संघनन के कारण होता है, सूर्य के प्रकाश के कारण पृथ्वी की सतह पर उपस्थित जल वाष्पित होकर वायुमंडल में पहुँच जाता है.
एक निश्चित ऊँचाई तक पहुँचने के बाद हवा में जलवाष्प संघनित होकर छोटी-छोटी बूंदों का रूप धारण कर लेता है, ये पानी की बूँदें एकत्रित होकर बादलों का रूप ले लेती हैं.
बादल किस प्रकार का बनेगा यह जहां बादल बनता है उस स्थान के तापमान, हवा और अन्य स्थितियों पर निर्भर करता है.
बादलों के प्रकार (Types of clouds in hindi)
बादलों को उनकी ऊंचाई तथा स्वरूप के आधार पर वर्गीकृत किया गया है जो इस प्रकार है.
1. उच्च मेघ (High clouds)
यह बादल मुख्यतः पृथ्वी की सतह से 7 से 15 किमी. की ऊंचाई के मध्य पाए जाते हैं, उच्च मेघ तीन प्रकार के होते हैं.
A पक्षाभ मेघ
वायुमंडल में सबसे अधिक ऊंचाई पर पाए जाने वाले यह बादल हिमकणों से बने होते हैं, यह सफेद रेशम की तरह आकाश में अनियमित क्रम में बिखर जाते हैं.
पक्षाभ मेघ से वर्षा नहीं होती है. यह मेघ चक्रवात के आने के क्रम में सबसे पहले दिखाई देते हैं, इसलिए यह कहना उचित होगा कि यह बादल चक्रवात के आने का संकेत देते हैं.
B पक्षाभ स्तरी मेघ
सफेद चादर की तरह पूरे आकाश में छाये रहने के कारण आकाश दूधिया रंग का दिखाई देता है. ये बादल दिन में सूर्य और रात में चंद्रमा के चारों ओर एक आभा मण्डल बनाते हैं. यह बादल भी चक्रवात के आने का संकेत देते हैं.
C पक्षाभ कपासी मेघ
ऐसे बादल पंक्तियों या समूहों में व छोटी गोलाकार मात्राओं के रूप में होते हैं. यह बादल छाया नहीं बनाते हैं, इन बादलों को मैकेरल स्काई भी कहा जाता है.
2. मध्य मेघ (Middle clouds)
यह बादल मुख्यतः पृथ्वी की सतह से 2 से 7 किमी. की ऊंचाई के मध्य पाए जाते हैं, यह बादल तीन प्रकार के होते हैं.
A स्तरी मध्य मेघ
यह बादल भूरे या नीले रंग की मोटी परत के रूप में पूरे आकाश को ढक लेता है, जो कि दिखने में धारीदार होते हैं. यह बादल आभा मंडल का निर्माण नही कर पाते हैं.
इनसे आकाश आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है, साथ ही इनसे लगातार बारिश होने की संभावना बनी रहती है.
B कपासी मध्य मेघ
कपासी मध्य मेघ भूरे या कुछ हद तक सफेद होते हैं. इनमें परतें पाई जाती हैं, यह बादल लहरों के रूप में बिखरे रहते हैं व छाया दार होते हैं. इस तरह के बादल को पताका बादल भी कहा जाता है.
3. निम्न मेघ (Low clouds)
यह बादल मुख्यतः पृथ्वी की सतह से 0 से 2 किमी. की ऊंचाई के मध्य पाए जाते हैं, यह बादल पांच प्रकार के होते हैं.
A स्तरी कपासी मेघ
यह बादल तरंगों या गुच्छों के रूप में दिखाई देते हैं. इन बादलों की ऊंचाई लगभग 2500 से 3500 मीटर होती है.
B स्तरी मेघ
स्तरी मेघ आकाश को कोहरे की तरह ढक लेते हैं. इनका विकास नीचे से ऊपर की ओर होता है, यह कोहरे की निचली परतों के प्रसार या उत्थान के कारण बनते हैं.
जब यह बिखरते हैं तो आकाश नीला दिखाई देता है. यह बादल आमतौर पर शीतोष्ण कटिबंध में शीत ऋतु के दौरान दो विपरीत प्रकृति की हवाओं के मिलने के कारण बनते हैं.
C वर्षा स्तरी मेघ
वर्षा स्तरी मेघ गहरे भूरे या काले रंग में होते हैं. इनके कारण बार-बार बारिश या हिमपात होता है. वर्षा स्तरी मेघ के कारण अंधेरा छाया रहता है, क्योंकि इनकी सघनता अधिक होने के कारण सूर्य का प्रकाश सतह तक नहीं पहुँच पाता है.
D कपासी मेघ
कपासी बादल पूरे आसमान में महीन रूई की तरह दिखाई देते हैं, यह ऊर्ध्वाधर वृद्धि के कारण आकाश में अर्धगोलाकार या गुंबद के रूप में दिखाई देते हैंं.
इनका आधार काले रंग का होता है. जो क्षैतिज रूप से दूर-दूर तक फैला होता है. यह सूर्य के प्रकाश में उज्जवलता लिए होते हैं, ये बादल आकार में बहुत घने होते हैं साथ ही यह साफ मौसम के सूचक होते हैं.
E कपासी वर्षी मेघ
यह बादल गहरे, काले और लंबवत रूप से बढ़ने वाले बादल होते हैं. कभी-कभी इनकी ऊंचाई लगभग 15 किलोमीटर तक होती है.
ये बादल भयंकर गड़गड़ाहट के साथ भारी बारिश और ओलावृष्टि उत्पन्न करते हैं.
निष्कर्ष: बादल किसे कहते हैं
इस लेख में आपने जाना कि बादल क्या है, बादल क्यों बनते हैं और बादल कितने प्रकार के होते हैं. यह लेख आपको कैसा लगा? यदि आपके मन में कोई प्रश्न या टिप्पणी हैं, तो कृपया नीचे Comment में लिखें.
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